टीबी या तपेदिक एक संक्रामक रोग है। जो माइक्रोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक जीवाणु के कारण होता है। या मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है। लेकिन शरीर के अन्य अंगों जैसे की-हड्डी,किडनी,मस्तिष्क और रीड की हड्डियों को भी प्रभावित कर सकता है।
दुनिया भर में टीबी एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है। विशेष कर विकासशील देशों में यह रोग हवा के जरिए भी फैलता है। और यदि समय पर इसका उपचार न किया जाए तो यह जानलेवा भी हो सकता है। इस ब्लॉग में जानेंगे हम टीबी के कारण,लक्षण,बचाव और उपचार के बारे में विस्तार से चर्चाएं करेंगे।
टीबी क्या है?
टीबी एक बैक्टीरिया संक्रमण रोग होता है। जो संक्रमण व्यक्ति की खांसी,छींक या थूक के संपर्क में आने से फैलता है। यह रोग मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है। लेकिन शरीर के अन्य हिस्सों को भी संक्रमित कर सकता है।
टीबी के प्रकार
टीबी को मुख्य रूप से दो प्रकारों में विभाजित किया गया है। उनमें से यह है।
1.सुप्त टीबी
- इसमें व्यक्ति के शरीर में टीबी के बैक्टीरिया मौजूद होते हैं। लेकिन वह सक्रिय नहीं हो पाते हैं।
- व्यक्ति को कोई लक्षण नहीं होते हैं। और यह दूसरों में भी नहीं फैलने देते।
- यदि सही समय पर इलाज न किया जाए। तो यह सक्रिय टीबी में बदल सकता है।
2,सक्रिय टीबी
- इसमें टीबी के बैक्टीरिया सक्रिय होते हैं। और व्यक्ति में लक्षण उत्पन्न करते हैं।
- यह रोग दूसरों में फैल सकता है।
- फेफड़ों के अलावा या शरीर के अन्य अंगों में भी फैल सकता है।
टीबी के कारण
टीबी का मुख्य कारण माइक्रोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया होता है। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में हवा के माध्यम से फैलता है।
टीबी होने के मुख्य कारण इस प्रकार होते हैं।
1.संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आना:
यदि कोई व्यक्ति टीबी से ग्रस्त व्यक्ति के निकट रहता है। तो उसे भी संक्रमण हो सकता है।
2.कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली:
जिन लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। उन्हें टीबी का खतरा अधिक से अधिक होता है।
3.पोषण की कमी:
कुपोषण से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। जिसे टीबी होने की संभावना बढ़ जाती है।
4.धूम्रपान और शराब का सेवन:
इसमें फेफड़े कमजोर हो जाते हैं। और टीबी का खतरा सबसे ज्यादा बढ़ जाता है।
5.गंदगी और स्वस्थ वातावरण:
गंदे और भीड़-भाड़ वाले इलाके में रहना भी टीबी के संक्रमण को बढ़ा सकता है।
6.एचआईवी एड्स:
एचआईवी संक्रमित लोगों में टीबी होने की संभावना अधिक से अधिक होती है।
7.डायबिटीज:
डायबिटीज से ग्रस्त लोगों को भी टीबी होने का अधिक खतरा रहता है।
टीबी के लक्षण
टीबी के लक्षण रोगी की स्थिति और संक्रमण की गंभीरता पर निर्भर करते हैं। समान रूप से टीबी के लक्षण इस प्रकार से होते हैं।
फेफड़ों की टीबी के लक्षण
- 3 हफ्ते से अधिक समय तक लगातार खांसी आना।
- खांसी के साथ खून आना।
- सीने में दर्द होना।
- वजन कम होना।
- भूख कम लगा।
- रात में पसीना आना।
- हल्का बुखार बना रहना।
- थकान महसूस होना।
अन्य अंगों में होने वाले टीबी के लक्षण
यदि टीबी शरीर के किसी अन्य भाग में फैल जाती है। तो उसके लक्षण विभिन्न प्रकार से हो सकते हैं। जैसे:
हड्डियों की टीबी: जोड़ो और हड्डियों में दर्द होना।
गुर्दे की टीबी: पेशाब में खून आना।
मस्तिष्क की टीबी: सर दर्द,उल्टी,भ्रम की स्थिति।
लिंफ नोड्स की टीबी: गर्दन में गांठे होना।
टीबी में होने वाली जांच और इसके निदान
टीबी का सही समय पर निदान होना बहुत जरूरी होता है। ताकि इसका प्रभावी इलाज किया जा सके इसके लिए निम्नलिखित जांच की आवश्यकता होती है। जैसे कि:
1.माइक्रोस्कोपिक बलगम जांच:
मरीज के बलगम की जांच की जाती है। कि उसमें टीबी के बैक्टीरिया मौजूद हैं। या नहीं है।
2.मंटू टेस्ट:
त्वचा पर टीबी बैक्टीरिया का प्रशिक्षण करने के लिए किया जाता है।
3.छाती का एक-रे:
फेफड़ों में संक्रमित की स्थिति का पता लगाने के लिए छाती का एक्सरे किया जाता है।
4.सिटी स्कैन और एमआरआई:
जटिल मामलों में उपयोग किया जाता है।
5.जीन एक्सपर्ट टेस्ट:
यह डीएनए आधारित प्रशिक्षण होता है। जो टीवी की बैक्टीरिया को पहचान करने के लिए किया जाता है।