लिवर कैंसर की शुरुआती लक्षण कारण और निदान क्या होते हैं?
लिवर कैंसर की शुरुआती लक्षण कारण और निदान के बारे में इस ब्लॉक में हम लोग जानने की कोशिश करेंगे। हमारा शरीर कई अंगों से मिलकर बना होता है,और हर अंग की अपनी एक विशेष कार्य क्षमता होती है। इनमें से लीवर एक महत्वपूर्ण अंग है। यह शरीर के दाएं और ऊपरी पेट में स्थित होता है। इसका काम पाचन में सहायता करना होता है,और खून को भी फिल्टर करना होता है। जब लीवर की कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं। तो यह लिवर कैंसर का रूप ले लेती हैं।

आजकल का असंतुलित खान-पान और बढ़ता प्रदूषण लिवर कैंसर जैसे मामलों को सामने ला रहा है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे।
लिवर कैंसर के प्रकार
लिवर कैंसर मुख्ता दो प्रकार के होते हैं:
1.प्राथमिक लिवर कैंसर (Primary liver cancer)
2.मेटास्टैटिक लिवर कैंसर (Metastatic liver cancer)
1.प्राथमिक लिवर कैंसर (Primary liver cancer):
प्राथमिक लिवर कैंसर लीवर की ही कोशिकाओं में से उत्पन्न होता है।
2.मेटास्टैटिक लिवर कैंसर (Metastatic liver cancer):
मेटास्टैटिक लिवर कैंसर शरीर के किसी और अंग जैसे कि-फेफड़े,बड़ी आंत से कैंसर जैसी-बीमारियों से लीवर तक फैलता है।
लिवर कैंसर के शुरुआती लक्षण
लिवर कैंसर के शुरुआती लक्षण सामान्य प्रकार के होते हैं। इसीलिए इन्हें पहचाना बहुत ही मुश्किल हो सकता है। लेकिन यदि निम्नलिखित लक्षण लंबे समय तक बने रहते हैं। तो डॉक्टर से परामर्श लेना आवश्यक है।
1.ऊर्जा की कमी और थकान महसूस होना:
हर समय थका-थका सा महसूस होना या मामूली काम में भी अत्यधिक थकान महसूस होना।
2.वजन में अचानक गिरावट होना:
बिना किसी डाइटिंग या एक्सरसाइज के तेजी से वजन कम हो जाना।
3.भूख का कम लगना:
खाने का मन ना करना या हमेशा पेट भरा-भरा जैसा महसूस होना।
4.लीवर के स्थान पर दर्द होना:
पेट के ऊपरी हिस्से में हल्का या तेज दर्द महसूस होना।
5.पेट फूलना जैसा महसूस होना:
पेट में पानी भरने की वजह से पेट फूल जाना या सूजन आ जाना।
6.त्वचा,आंखों का पीलापन पड़ जाना:
जॉन्डिस या एनीमिया लीवर की खराबी का प्रमुख संकट में से एक है।
7.मिचली और उल्टी जैसा महसूस होना:
बार-बार उल्टी की इच्छा या पेट खराब होने जैसी-समस्या का होना।
8.हल्का बुखार का लगातार बने रहना:
बिना किसी स्पष्ट कारण के बार-बार बुखार का आना।
9.गहरे रंग का पेशाब और हल्के रंग का मल का होना:
लीवर के कार्य प्रणाली प्रभावित होने पर मूत्र का रंग गहरा और मल का रंग काफी फीका हो जाता है।
10.खाने का डाइजेशन ना होना:
लिवर कैंसर होने पर खाना सही प्रकार से पच नहीं सकता है।
लिवर कैंसर के कारण
1.ज्यादा शराब पीना:
अत्यधिक शराब का सेवन लीवर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है। जिससे कैंसर की संभावना बहुत ही ज्यादा बढ़ जाती है,और लिवर डैमेज हो जाता है।
2.गंदा खाना खाना:
बासी और नमी वाले अनाज में पाया जाने वाला यह विषैला पदार्थ लीवर को नुकसान पहुंचता है।
3.मोटापा और डायबिटीज:
मोटापा और मधुमेह लिवर फैटी डिजीज को बढ़ावा देने में अत्यधिक कारीगर होता है। जो आगे चलकर कैंसर का कारण बन सकता है।
4.परिवारिक इतिहास:
अगर परिवार में किसी को लिवर कैंसर हो चुका है। तो जोखिम ज्यादा से ज्यादा बढ़ सकता है।
5.सिरोसिस:
लीवर में धीरे-धीरे जख्म बनना और उसकी कार्य क्षमता का कम हो जाना।
लिवर कैंसर का निदान
यदि किसी व्यक्ति में लिवर कैंसर के लक्षण दिखाई देते हैं। तो डॉक्टर निम्नलिखित जांच कर सकते हैं।
1.ब्लड टेस्ट (Blood test):
- AFP (Alpha-fetoprotein)की मात्रा बढ़ी हो तो यह लिवर कैंसर का संकेत हो सकता है।
2.इमेजिंग टेस्ट (Imaging tests):
अल्ट्रासाउंड,सीटी स्कैन और एमआरआई से लीवर में गांठ या असमानता देखी जा सकती है।
3.बायोप्सी (Biopsy):
लीवर की गांठ से एक छोटे से हिस्से को निकाल कर माइक्रोस्कोपिक से जांच करना ही बायोप्सी कहलाता है।
4.लिवर फंक्शन टेस्ट (LFT):
लीवर के कार्य क्षमता को मापने के लिए यह खून से जांच करने वाला टेस्ट है।
लिवर कैंसर का इलाज
लिवर कैंसर के इलाज की विधि मरीजों की उम्र लीवर की स्थिति और कैंसर के स्टेज पर निर्भर करती है। जिससे लिवर कैंसर का इलाज हो सकता है।
1.सर्जरी:
यदि ट्यूमर लीवर के एक हिस्से में से सीमित है। तो लीवर रिजेक्शन द्वारा उसे हटाया जा सकता है।
2.लीवर ट्रांसप्लांट:
लीवर की स्थिति अगर गंभीर है। तो पूरे लीवर को बदला जाता है। जिसे लिवर ट्रांसप्लांट कहते हैं।
3.रेडियोथैरेपी:
कैंसर कोशिकाओं को करने के लिए रेडियोथैरेपी का उपयोग किया जाता है।
4.कीमोथेरेपी:
दवाओं के माध्यम से कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने के लिए कीमोथेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है।
लिवर कैंसर से बचाव
- हेपेटाइटिस बी का टीकाकरण जरूर लगवाना चाहिए।
- सुरक्षित यौन संबंध रखें और संक्रमित सुइयों से बचते रहे।
- शराब और तंबाकू का सेवन पूरी तरह से बंद कर दें।
- स्वास्थ्य और संतुलित भोजन खाना चाहिए।
- मोटापे और मधुमेह को नियंत्रित करके रखें।
- नियमित स्वास्थ्य जांच करवाते रहें।
- गंदे और सड़े गले खाद्य पदार्थों से बचें।
- तले-भुने और मसालेदार चीजों का कम से कम सेवन करें।